Heart Touching Zakir Khan Shayari In Hindi-madbestshayari

हेलो दोस्तों हम आपके लिए प्यार, जीवन, सफलता Zakir Khan Shayari In Hindi, Zakir khan Shayari on jindagi, Hindi Zakir Khan Shayari और बहुत कुछ के बारे में कुछ बेहतरीन जाकिर खान शायरी और कविताएँ लेकर आए हैं।
हमें यकीन है कि आपने जाकिर खान के कॉमेडी वीडियो देखे होंगे। ‘सख्त लौंडा’ के नाम से लोकप्रिय जाकिर एक ऐसा नाम है जिससे अब लगभग हर भारतीय युवा भली-भांति परिचित है। जाकिर कॉमेडी सेंट्रल के ‘इंडियाज बेस्ट स्टैंड अप कॉमेडियन’ के विजेता भी हैं। वह किसी को भी सरल पंक्तियों से हंसाने की शक्ति रखते हैं जो हमारे दैनिक जीवन से अच्छी तरह से संबंधित हैं। एक समय था जब उन्हें सिर्फ 90 सेकेंड में मंच से उतरने के लिए कहा जाता था। लेकिन अब वह अपने सफल करियर के चरम पर हैं।
स्टैंडअप कॉमेडियन के अलावा जाकिर एक बेहतरीन शायर भी हैं। उनकी कविताओं और दोहों ने कुछ ही समय में दिल के तार खींच लिए।
Zakir Khan Shayari In Hindi
जाकिर खान पहली बार तब प्रमुखता से आए जब हमने कॉमेडी सेंट्रल द्वारा आयोजित एक कॉमेडी प्रतियोगिता में ‘इंडियाज बेस्ट स्टैंड अप’ का खिताब जीता, वह भी उतने ही प्रतिभाशाली शायर हैं। उनकी शायरी और कविताएँ प्रेम की भावना को सबसे भरोसेमंद और मासूम तरीके से छूती हैं।

Teri bewafaai ke Angaaron mein lipti rahi yun ruh meri.
Mein is tarah aag na hota, jo ho jaati tu meri.
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Woh titli ki tarah aayi aur Zindagi ko baag kar gayi,
Mere jitne napak the iraade unhe bhi paak kar gayi.
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हर एक दस्तूर से बेवफाई मैंने शिद्दत से है निभाई
रस्ते भी है खुद ढूंढे , मंजिल भी खुद बनायीं !!
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मैं भी हैरान हूँ ऐ ‘दाग़’ कि ये बात है क्या
वादा वो करते हैं आता है तबस्सुम मुझ को !!
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Zakir Khan Shayari Status

यह कुछ सवाल है जो
सिर्फ क़यामत के रोज़ पूछूंगा
क्योंकि उससे पहले
तुम्हारी और मेरी बात हो सके
इस लायक नहीं हो तुम।
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Har ek copy ek peeche kucch na kuch khaas likha hai,
Bas iss tarah tere mere Ishq ka Itihass likha hai.
Tu Duniya me chaahe jahan bhi rahe,
Apni Diary mein maine tujhe paas likha hai..
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Zakir Khan Sad Shayari
बस का इंतज़ार करते हुए,
मेट्रो में खड़े खड़े
रिक्शा में बैठे हुए
गहरे शुन्य में क्या देखते रहते हो?
गुम्म सा चेहरा लिए क्या सोचते हो?
क्या खोया और क्या पाया का हिसाब नहीं लगा पाए न इस बार भी?
घर नहीं जा पाए न इस बार भी?
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यह खत है उसे गुलदान के नाम जिसका फूल कभी हमारा था
वजह अब तुम उसके मुख़्तार हो तो सुन लो उसे अच्छा नहीं लगता
मेरे जान के हकदार हो तो सुन लो उससे अच्छा नहीं लगता
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Zakir Khan SHayari

इश्क़ को मासूम रहने दो
नोटबुक के आखिरी पन्ने पर
आप उसे किताबो में डालकर
मुश्किल न कीजिये !!
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यूँ तो भूले है हमे लोग कई,
पहले भी बहुत से
पर तुम जितना कोई उनमे से याद नहीं आया !!
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Kamyaabi tere liye humne khud ko kuch yun taiyyar kar liya,
Maine har jazbaat baazar mein rakh kr ishtehaar kar liya
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ज़ाकिर खान शायरी स्टेटस
किसलिए देखते हो आईना, तुम तो खुद से भी खूबसूरत हो
दासता ख़तम होने वाली है, तुम मेरी आखिरी मोहब्बत हो।
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तेरी बेवफाई के अंगारो में लिपटी रही हे रूह मेरी,
मैं इस तरह आज न होता जो हो जाती तू मेरी..
एक सांस से दहक जाता है शोला दिल का
शायद हवाओ में फैली है खुशबू तेरी
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Dosti Shayari By Zakir Khan
मेरा 2-4 ख्वाब हे जो में आसमान से दूर चाहता हूं
जिंदगी चाहे गुमनाम रहे मौत में मसहूर चाहता हूं !!
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मार डाला मुस्कुरा कर नाज़ से
हाँ मेरी जाँ फिर उसी अंदाज़ से !!
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शायद उसके रस्ते में मुझसे बेहतर लोग पड़ गए
वह बेवफा तो नहीं थे मगर आगे जरूर बढ़ गए !!
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ज़ाकिर खान Jashn e Rekhta
तुझे खोने का खौफ जबसे निकला है बाहर,
तुझे पाने की जिद भी टिक न सकी दिल में !!
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कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछ
वो तबस्सुम जो हक़ीक़त में फ़ुग़ाँ होता है !!
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Zakir Khan Sad Shayari

भूख देखी है, देखी है तिरस्कार
कदमों से चल चल कर रास्तों को बदलते देखा हैं
देखी है ना-उमीदी, अपमान देखा है
न चाहते हुए भी माँ बाप का झुकते हुए आत्म सम्मान देखा है
सपनों को टूटते देखा है अपनों को छूटते देखा है
हालात के बंजर जमीन फाड़ कर निकला हूँ
बेफिक्र रहिये मैं शोहरत की धूप में नहीं जलूँगा
आप बस साथ बनाए रखिए अभी तो मैं लम्बा चलूँगा
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अब वो आग नहीं रही, न शोलो जैसा दहकता हूँ,
रंग भी सब के जैसा है, सबसे ही तो महकता हूँ…
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में,
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ…
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ZAkir Khan Shayari In Fonts
अपने आप के भी पीछे खरा हूँ मैं
अपने आप के भी पीछे खरा हूँ मैं
ज़िन्दगी कितना धीरे चला हूँ मैं
और मुझे जगाने जो और भी हसीन हो के आते थे
उन ख़्वाबों को सच समझकर सोया रहा हूँ मैं
ज़िन्दगी कितना धीरे चला हूँ मैं
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दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया
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जिंदगी से कुछ ज्यादा नहीं,
बस इतनी से फरमाइश है,
अब तस्वीर से नहीं,
तफ्सील से मलने की ख्वाइश है..
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Zakir khan Poetry Shayari

Click Here https://youtu.be/s_y5BX9kEKc
अब वो आग नहीं रही, न शोलो जैसा दहकता हूँ,
रंग भी सब के जैसा है, सबसे ही तो महेकता हूँ…
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में,
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ…
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अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ में,
ज़िन्दगी , कितने धीरे चला हूँ मैं…
और मुझे जगाने जो और भी हसीं होकर आते थे,
उन् ख़्वाबों को सच समझकर सोया रहा हूँ मैं….
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ये सब कुछ जो भूल गयी थी तुम,
या शायद जान कर छोड़ा था तुमने,
अपनी जान से भी ज्यादा,
संभाल रखा है मैंने सब,
जब आओग तो ले जाना..
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