आवारगी में हम अपनी ज़िन्दगी गुज़ारते है हर जगह हम आज भी तुझ को तलाशते है !!
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तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने, हमें इश्क का शौक है आवारगी का नहीं !!
ऐ ज़िन्दगी किस ओर ले चली हो मुझे, ये आवारगी तो मुझको खराब कर गयी !!
वो बंदगी की ऐसी मिसाल देते हैं, आवारगी को शराफत में ढाल देते हैं !!
रात दिन आवारगी होने लगी तुम मिले तो शायरी होने लगी !!
सरे बाजार निकलू तो आवारगी की तोहमत, तन्हाई में बैठू तो इल्ज़ाम-ए-मोहब्बत !!
ये मोहब्बत तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है दोस्तो, जवानी में हमें फुर्सत ही कहाँ आवारगी से !!
आवारगी की राह तो जिंदगी भर चलती रही, कहीं पर भी मगर मोहब्बत का बसेरा नहीं निकला !!
हमें आवारगी शहर की गली गली घूमाती है, हमें आवारगी ही दुनिया से अलग बनाती है !!