आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए, सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए !!

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कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं, तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं !!

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं, वो रंग है ही नहीं जो तेरे  बदन में नहीं !!

ख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में, बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया !!

उनके हुस्न का आलम  न पूछिये, बस तस्वीर हो गया हूँ,  तस्वीर देखकर !!

कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की, पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी !!

नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, कसूर तो उस चेहरे का है  जो सोने नहीं देता !!

इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​,​ ​​कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी​ !!

मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम !!

अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला, काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला !!