आँखों में तुम्हारी मेरे ही  ख्वाब नज़र आते हैं, जब मैं भी कुछ कहना चाहूँ तो बस तेरे ही अल्फाज़  जुबाँ पर आते हैं !!

सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते हैं लोग एक नज़र हमको भी देख लो ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती !!

देख कर हैरान हूँ आईने का जिगर एक तो कातिल सी नज़र उस पर काजल का कहर !!

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ना जाने तुझे कैसा ये हुनर आता है मैं तेरे प्रेम से बच कर  जाऊं तो कहाँ जाऊं तू मेरी सोच की हर  दहलीज़ पे नज़र आता है !!

तेरी कातिल नज़रों से जो टकराया होगा मुझे नहीं लगता वो अब तक घर पहुँच पाया होगा !!

पहले सौ बार इधर और उधर देखा है तब कहीं डर के तुम्हें एक नज़र देखा है !!

नज़र ख़ामोश , ज़ुबान चुप , सदा-ऐ-दिल महरूम किसी का ज़िक्र न निकला , तुम्हारी बात के बाद !!

तुम एक नज़र देख लो  खुद को मेरी नज़र से तुम्हारी नज़रें तलाशेंगी खुद फिर मेरी नज़र को !!