या देवी सर्वभूतेषु  मा कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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मां कात्यायनी मंत्र

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि मां कात्यायनी उपासकों के पापों को धोती हैं, नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती हैं और किसी के जीवन में बाधाओं को दूर करती हैं । ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी बुद्धि और शांति का प्रतीक हैं जो भक्तों को मांगलिक दोष को दूर करने में मदद करती हैं।

कात्यायनी देवी की पूजा क्यों की जाती है ?

इसके लिए महर्षि कात्यायन ने देवी पराम्बा की कठोर तपस्या की | महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी पराम्बा ने उन्हें वरदान दिया और उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुईं | महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा | मां कात्यायनी ने ही आगे चलकर राक्षस महिषासुर का वध किया था |

कात्यायनी का जन्म कैसे हुआ?

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है।

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायानी को गेंदे का फूल और बेर के पेड़ का फूल विशेष रूप से प्रिय है और इन फूलों को चढ़ाने से मां की कृपा प्राप्त होती है |

किस फूल से करे मां कात्यायनी की पूजा

न्हें सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप-दीप, पुष्प, फल प्रसाद आदि से देवी की पूजा करें। इसके बाद उन्‍हें पीले फूल, कच्‍ची हल्‍दी की गांठ और शहद अर्पित करें। मंत्र सहित मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़ें और अंत में आरती करें। आरती के बाद सभी में प्रसाद वितरित कर स्‍वयं भी ग्रहण करें।

मां कात्यायनी की पूजा विधि

नवरात्रि के छठवें दिन देवी मां को शहद का भोग लगाना बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन शहद का भोग लगाने से मनुष्य की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।

मां कात्यायनी का भोग

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है | मां कात्यायनी को लाल रंग बहुत प्रिय है | इसलिए इस दिन लोगों को लाल रंग के कपड़े पहनकर देवी की पूजा करनी चाहिए |

छठे दिन का शुभ रंग

अत्‍याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त करने वाली माता कात्‍यायनी की जय !! नवरात्र का छठा दिन आपके लिए मंगलमय हो