ख़ामोश शहर की चीखती रातें,
सब चुप हैं पर,
कहने को है हजार बातें !!
जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो, ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है !!
जब ख़ामोश आखों से बात होती हैं,
ऐसे ही मोहब्बत की शुरूआत होती हैं !!
बोलने का हक़ छीना जा सकता है, मगर खामोशी का कभी नहीं !!
खामोशी समझदारी भी है और मजबूरी भी कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है और कहीं दूरी भी !!
जब इंसान अंदर से टूट जाता हैं, तो अक्सर बाहर से खामोश हो जाता हैं !!
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी हैं और शोर भी हैं, तूने गौर से नहीं देखा, इन आखों में कुछ और भी हैं !!
मुझे अपने इश्क़ की वफ़ा पर बड़ा नाज था, जब वो बेवफा निकला, मैं भी खामोश हो गया !!
उसने कुछ इस तरह से की बेवफाई,
मेरे लबो को खामोशी ही रास आई !!