महसूस तो करते है
मगर छू नहीं सकते,
तुम फूल नहीं,
फूल की खुशबू की तरह हो !!
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हमें क्या जरुरत खुशबु लगाने की
तेरी मोहब्बत में महक कर गुलाब हुए हैं !!
दर्द के फूल भी खिलते है, बिखर जाते है,
जख्म कैसे भी हो कुछ रोज में भर जाते है !!
तुम सब खुशबू ले लो
जहां के तमाम फूलों की,
हम तो वो खुशबू हैं जो तुम्हारी सांसों में हैं !!
तारीफ अपने आप की करना फिजूल हैं
खुशबु खुद बता देती हैं
कौन सा फूल हैं !!
इश्क के फूल खिलते हैं
तेरी खुबसूरत आँखों
में जहाँ देखे तू एक नजर
वहां खुशबु बिखर जाये !!
उसके गले लगने की खुशबु अब भी मुझसे आती है
ना जाने कैसे वो दूर रहकर भी मुझे दीवाना बनाती है !!
खामोश बैठी गजल को अल्फाज दे आया
आज एक गुलाब को
गुलाब दे आया !!
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