मां कालरात्रि मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

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मां दुर्गा के सातवें रूप को कालरात्रि कहा जाता है | माना जाता है, कि माता सभी राक्षसों के लिए कालरूप बनकर मां दुर्गा के इस कालरात्रि के रूप में प्रकट हुई थीं | मान्यता है कि मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं यानी मां के उपासक की अकाल मृत्यु नहीं होती है |

मां कालरात्रि  कौन है?

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं | इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं | मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है | इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और गधा इनका वाहन है |

किस फूल से करे मां कालरात्रि की पूजा

मां कालरात्रि को नीले रंग का कृष्ण कमल का फूल बहुत अधिक प्रिय है | यदि संभव हो तो सातवें दिन पूजा में इस फूल को शामिल करें यदि ये फूल न मिले तो ​कोई भी नीले रंग का फूल भी चढ़ाया जा सकता है | नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप को पूजा जाता है |

मां कालरात्रि की पूजा विधि

माँ को गंगाजल से स्नान करा कर स्थापित करे। माँ को मिस्थान, पंच मेवा, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड नावेघ आदि का अर्पण करे। मंत्र साहित्य मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़े और अंत में आरती करें।

मां कालरात्रि को क्या चढ़ाएं

भक्त देवी कालरात्रि को कुमकुम, लाल फूल और रोली चढ़ाते हैं। देवी को नींबू की माला चढ़ाएं और उनके सामने तेल का दीपक जलाएं। उन्हें लाल फूल और गुड़ का भोग लगाएं।

मां कालरात्रि का भोग

मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बनी चीजें अति प्रिय होती है। इसलिए आप सादा गुड़ या फिर गुड़ से बना हलवा भी मां को भोग लगा सकते हैं। मां को गुड़ से बनी मिठाई का भी भोग चढ़ाया जा सकता है।

सातवें दिन का  शुभ रंग

नवरात्रि के सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मां कालरात्रि का प्रिय रंग नीला है। इसलिए नवरात्रि के सातवें दिन नीला रंग पहनना शुभ माना जाता है।