मां स्कंदमाता मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु  माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नम:।। सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी  स्कन्दमाता यशस्विनी।।

 स्कंदमाता का अर्थ क्या है?

स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय अर्थात माता पार्वती और भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकय, जो भगवान स्कंद कुमार की माता हैं, वही हैं मां स्कंदमाता। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

स्कंदमाता का स्वरुप मन को मोह लेने वाला होता है। इनकी चार भुजाएं होती हैं, जिससे वो दो हाथों में कमल का फूल थामे दिखती हैं। एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे होते हैं और दूसरे से माता तीर को संभाले दिखती हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं।

किस फूल से करे मां स्कंदमाता  की पूजा

इस दिन मां कुष्मांडा को उनका पसंदीदा चमेली का फूल या पीले रंग का कोई भी फूल पूजा में चढ़ाना चाहिए | इससे मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं | नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की अराधना होती है |

मां स्कंदमाता की पूजा विधि

सबसे पहले माता को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। बता दें माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। ऐसे में कोशिश करें की माता को सफेद फूल अर्पित करें और सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद स्कंदमाता के व्रत कथा का पाठ करें।

मां स्कंदमाता का भोग

इस दिन माता जी को केले का नैवेद्य चढ़ाना बहुत उत्तम होता है। ऐसा करने से आपको उत्तम स्वास्थ्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है। 6 नवरात्रि के छठवें दिन देवी मां को शहद का भोग लगाना बहुत अच्छा माना जाता है।

पांचवें दिन का  शुभ रंग

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है | इस दिन मां की पूजा करते समय सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इससे मां प्रसन्न होती हैं |

स्कंदमाता की भक्ति का पर्व है, स्कंदमाता की आराधना का  ये पर्व है, बिगड़े काम बनाने का पर्व है, भक्ति का दीया दिल में जलाने  का पर्व है। नवरात्रि के पांचवें दिन  की हार्दिक शुभकामनायें