मस्तक सोहे चन्द्रमा, गंग जटा के बीच,
श्रद्धा से शिवलिंग को, निर्मल जल मन से सीच !!
पागल सा बच्चा हूँ, पर दिल से सच्चा हूँ,
थोड़ा सा आवारा हूँ पर महादेव तेरा ही दीवाना हूँ !!
विभत्स हूँ, विभोर हूँ, मैं समाधी में ही चूर हूँ,
मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ,
मैं शिव हूँ !!
काल भी तुम महाकाल भी तुम,
लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम, शिव भी तुम और सत्य भी तुम !!
किस्मत लिखने वाले को भगवान कहते हैं,
और बदलने वाले को भोलेनाथ कहते हैं !!
महादेव तेरे बगैर सब व्यर्थ हैं मेरा, मैं शब्द तेरा, तू अर्थ हैं मेरा !!
सर उठा के चलते हैं, महादेव की महेरबानी हैं,
शिव की भक्ति करना मेरे जीवन की कहानी हैं !!
घनघोर अँधेरा ओढ़ के मैं जन जीवन से दूर हूँ,
श्मशान में हूँ नाचता मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ !!