नाग पंचमी par गुड़िया क्यों पीटी जाती है? | नाग पंचमी एवं गुड़िया त्यौहार में संबंध | Naag Panchami 2023

इस साल 21 अगस्त 2023 नागपंचमी का त्योहार मनाया जायेगा | सावन माह में पंचमी तिथि को प्रतिवर्ष यह त्यौहार मनाया जाता है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में सांपों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा को विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में नागपंचमी बड़े ही अलग ढंग से मनाई जाती है। वहां पर इस दिन गुड़िया को पीटने की एक अनोखी परंपरा निभायी जाती है, जो अपने आप में बेहद अलग और अनूठी है। नागपंचमी के दिन महिलाएं पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाती हैं और उसे चौराहे पर डालती हैं| फिर बच्चे इन गुड़िया को कोड़ों और डंडों से पीटते हैं।
गुड़िया कौन सा त्यौहार है?
गुड़िया त्यौहार एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह त्यौहार लोगों को एकजुट करता है और उन्हें सांपों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव पैदा करता है। गुड़िया एक लोकप्रिय त्यौहार है और इसे पूरे कानपुर शहर में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और गुड़िया बांटते हैं, और गुड़िया के साथ खेलते हैं और उनका आनंद लेते हैं। गुड़िया त्यौहार को कानपुर के अलावा, भारत के कुछ अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है, जैसे कि बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़। गुड़िया त्यौहार का इतिहास बहुत पुराना है. माना जाता है कि यह त्यौहार सदियों से मनाया जा रहा है.
गुड़िया त्यौहार का धार्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में, सांपों को पवित्र माना जाता है और उन्हें भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
नाग पंचमी के पीछे की कहानी क्या है?
नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है। इनमें से 2 खास कथाएं बता रहे हैं-
पहली कथा यह है — आज के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है, किंवदन्ति है कि इस स्थान पर तक्षक गरूड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आये, परन्तु गरूड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी,और उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरूड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान कर दिया, उसी समय से यहाँ नाग पंचमी के दिन से यहाँ नाग पूजा की जाती है,यह मान्यता है, कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहाँ पूजा अर्चना कर नाग कुआँ का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
दूसरी कथा —-भविष्य पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान नागों ने अपनी माता की बात नहीं मानी थी जिसके चलते उन्हें श्राप मिला था। नागों को कहा गया था कि वो जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। घबराए हुए नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंच गए और उनसे मदद मांगने लगे। तब ब्रह्माजी ने कहा कि नागवंश में महात्मा जरत्कारु के पुत्र आस्तिक सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्मा जी ने यह उपाय पंचमी तिथि को ही बताया था। वहीं, आस्तिक मुनि ने सावन मास की पंचमी तिथि को नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें यज्ञ में जलने से बचाया था। तब से लेकर आज से नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
नाग पंचमी की शुरुआत किसने की?
नाग पंचमी की शुरुआत भगवान शिव ने की थी। हिंदू धर्म में सांपों को पवित्र माना जाता है और उन्हें भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, माना जाता है कि भगवान शिव ने सांपों को आशीर्वाद दिया था और कहा था कि वे कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे | इस आशीर्वाद के बाद से, लोग सांपों को पवित्र मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं.
नाग पंचमी का त्यौहार हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध, मिठाई और फूल चढ़ाते हैं। वे नाग देवता से अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा और आशीर्वाद मांगते हैं। नाग पंचमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है और इसे पूरे भारत में मनाया जाता है|
नाग पंचमी के दिन क्या खाना चाहिए?
नाग पंचमी के दिन, लोग कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं| माना जाता है कि ये खाद्य पदार्थ सांपों को दूर भगाते हैं और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कुछ लोकप्रिय नाग पंचमी के व्यंजनों में शामिल हैं:-
दूध
दही
चावल
मिठाई
फल
साबूदाना
खीर
हलवा
पूड़ी
कढ़ी
दाल
यही व्यंजन लोग नाग पंचमी के दिन कहते है।
नाग पंचमी में किसकी पूजा होती है?
नाग पंचमी पर भगवान शिव की पूजा-आराधना के साथ उनके गले की शोभा बढ़ाने वाले नाग देवता की भी पूजा अर्चना होती है। कहा जाता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के डसने का भय नहीं रहता है। साथ ही जीवन की सभी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं।नाग देवता को सांपों का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में, सांपों को पवित्र माना जाता है और उन्हें भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने सांपों को आशीर्वाद दिया था और कहा था कि वे कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इस आशीर्वाद के बाद से, नाग पंचमी के दिन लोग भगवान शिव के साथ साथ सांपों क भी पूजा करते है।
नाग पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
नाग पंचमी के त्यौहार मनाने के पीछे कई कारण हैं। कुछ लोगों का मानना है कि नाग पंचमी का त्यौहार भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। नाग पंचमी की पौराणिक कथा में एक कथा ये भी है की जिसके कारन हम यह त्यौहार मानते है –
जब समुद्र मंथन हुआ था तब किसी को भी रस्सी नहीं मिल रही थी। इस समय वासुकि नाग को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी वहीं, दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला था जिसे शिव भगवान में अपने कंठ में धारण किया था और समस्त लोकों की रक्षा की थी। वहीं, मंथन से जब अमृत निकला तो देवताओं ने इसे पीकर अमरत्व को प्राप्त किया। इसके बाद से ही इस तिथि को नाग पंचमी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है।